‘‘जेहि दिन राम जनम श्रुति गावहिं।
तीरथ सकल जहां चलि आवहिं।।
भजु दीनबंधु दिनेश दानव, दैत्यवंश-निकन्दंन |
रघुनन्द आनंदकंद कौशलचन्द दशरथ-नन्दनं ||
राम के लिए जितना लिखा जाए कम ही पड़ेगा,राम सिर्फ एक व्यक्तित्व नहीं राम सिर्फ एक राजा नहीं राम सिर्फ एक मानव नहीं बल्कि राम स्वयं पूरा एक जीवन दर्शन हैं,सिद्धांत हैं,आदर्श हैं। जो लोग राम को सिर्फ ईश्वरीय अवतार के रूप में पूजते हैं उनको यह जानना आवश्यक है कि राम सिर्फ भगवान नहीं बल्कि वे स्वयं जीवंत मानव जीवन का आदर्श हैं।इसीलिए तो जब लक्ष्मण को शक्ति लगी तब राम बिलकुल हमारे और आपकी तरह छोटे भाई की वेदना में बिलखते हैं,सीता हरण के समय भी कुछ ऐसा ही दृष्टांत देखने को मिलता है कैसे राम सीते सीते पुकारते हुए बिलखते हैं जैसे किसी बालक की अतिप्रिय वस्तु किसी ने छीन ली हो अन्यथा क्या राम इतने सामर्थ्यवान नहीं थे क्या कि सीता को कुछ ही पलों में रावण के पाश से मुक्त करवा लाते वे तो स्वयं विष्णु जी के सातवें अवतार थे उनके लिए तो कुछ भी असंभव नहीं था।राम ने इसी वसुंधरा पर मानवीय अवतार में जन्म लेकर साधारण मनुष्य की भांति जीवन जिया।जब तक महलों में थे वे सिर्फ श्री राम थे फिर जब जंगलों में गए तो वे मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम हो गए।राम की जीवन यात्रा में मानव समाज का हर पक्ष सम्मिलित है।समाज के सबसे निचले तबके दलित, आदिवासी, महिला सभी का अध्ययन राम के जीवन अध्ययन में सम्मिलित है।राम पर्यावरणविद् भी हैं और प्रबंधक भी।राम से अच्छा कोई लीडर नहीं हुआ आजतक और राम से बड़ा कोई राजा नहीं।दया,करूणा,प्रेम से ओत-प्रोत राम का ह्रदय आदर्श है मानव जाति के लिए।
जिस वंश में राम ने जन्म लिया था उसमें बहुपत्नी विवाह की परंपरा थी किंतु राम ने आजीवन एकपत्नी विवाह का ही पालन किया।राम यहाँ बताना चाहते हैं कि परंपराएं कितनी ही पुरानी या कठोर हों यदि सामाजिक जीवन के लिए अनुपयोगी हो उन्हें परिवर्तित किया जाना चाहिए इसी में समाज का विकास है।
रामायण में राम, सीता,हनुमान,लक्ष्मण,भरत,शत्रुघ्न,उर्मिला प्रत्येक चरित्र त्याग,तपस्या,कर्तव्यपरायणता और सत्य के लिए प्रतियोगिता करते हुए दिखते हैं इसलिए रामायण सिर्फ एक महाकाव्य नहीं बल्कि महादर्शन है और राम ईश्वरीय अवतार नहीं बल्कि जीवन दर्शन है।मानव जीवन की प्रत्येक समस्या का हल राम के दर्शन में है।
राम को किसी धर्म में बांधना सिर्फ मूढ़ता होगी,क्योंकि राम तो स्वयं सभी सभ्यताओं संस्कृतियों का सम्मान करते हैं उन्हें उनके वास्तविक रूप में स्वीकार करते हैं।
राम साधारण से असाधारण की ओर एक ऐसी यात्रा है जिसमें मानव जीवन के सभी उतार चढ़ाव हैं।
राम आदर्श हैं,महापुरुष हैं और राम दर्शन है जीवन का।
©️मूमल