मेरी हर नज़्म मुकम्मल हो जाती है जब तेरी नज़रें इसे छू लेती हैं ,
मेरी हर इबादत मुकम्मल हो जाती है जब तेरा हर ख्वाब मेरी ख्वाइशों को छू लेता है।
©️मूमल
मेरी हर नज़्म मुकम्मल हो जाती है जब तेरी नज़रें इसे छू लेती हैं ,
मेरी हर इबादत मुकम्मल हो जाती है जब तेरा हर ख्वाब मेरी ख्वाइशों को छू लेता है।
©️मूमल