तुमने एक बार कहा था “वक्त की एक सबसे खास बात है कि वक्त जैसा भी हो गुज़र जाता है” यक़ीनन गुज़र ही जाएगा वक्त कई सारे अनुभव दे कर।
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कोशिशें कवायदें ख्वाहिशें ख्वाब इबादतें
लम्हे दिन हफ्ते महिने बरस जिंदगी
आफताब सितारे बादल बारिश
मग़रीब फज़र दुपहरी शाम रात
उफ्फ हर जगहां सिर्फ तुम महकते हो
©️मूमल
काश कि तुम कोई मौसम होते
भले ही साल में एक बार आते
जब भी आते जी भर के आते❤️
©️मूमल
ख्वाहिशें
काश कि मैं तुम्हारे घर की दहलीज होती
तुम जब भी आते मुझे जी भर के देखते
तुम जब भी जाते मुझे छूने के लिए तड़पते❤
©️मूमल
गफ़लत
वो जो मुझसे मोहब्बत का दावा करता है वो भी क्या गज़ब गफ़लत करता है,
तकदीरों में जो लिखा ही नहीं वो नायाब नज़राना पेश करने की नाकाम कोशिशें करता है
मुकम्मल इश़्क
मेरी हर नज़्म मुकम्मल हो जाती है जब तेरी नज़रें इसे छू लेती हैं ,
मेरी हर इबादत मुकम्मल हो जाती है जब तेरा हर ख्वाब मेरी ख्वाइशों को छू लेता है।
©️मूमल
ताल्लुकात कम रखती हूँ आजकल ज़माने से
ताल्लुकात कम रखती हूँ आजकल आईने से
नज़्म जो लिख गया तू छिपाती फिरती हूँ ज़माने से
©️मूमल
ये जिस्म खाक हो जाएगा ये वक्त बदल जाएगा
इश़्क की किताबों के किस्से रह जाएंगे
लाइब्रेरी की दराजों में दर्ज हो जाएंगे
तुम देख लेना जाना इश़्क की खुशबू
महसूस होगी सुबहों शाम दरख्तों से
देख लेना हम मिलेंगें इस जहाँ के उस पार
जहाँ इश़्क रिश्तों रिवाज़ों का मोहताज नहीं।
©️मूमल
तुम्हारे जाने के बाद
जिस जगहां बैठ के जाते हो तुम मैं अक्सर उसी पर लेटी रहती हूँ घंटों,
तुम्हारे जाने के बाद मैं अक्सर उस गिलास को रखती हूँ संभाल के जिसमें पीते हो तुम पानी बार बार,
तुम्हारी बातों को याद करके मैं अकेले में मुस्कुराते रहती हूँ,
तुम्हारे जाने के बाद मैं अक्सर अपने घर को रहने देती हूँ वैसे ही,
तुम्हारे जाने के बाद मैं ना जाने कब तक बालकनी में खड़े उसी गली को ताकती रहती हूँ जिस गली से तुम आए थे,
तुम्हारे जाने के बाद मैं अक्सर उन सीढिय़ों पर चढ़ती उतरती रहती हूँ,
हाँ तुम्हारे जाने के बाद मैं अक्सर रखती हूँ खुद को तुम्हारे साथ सिर्फ तुम्हारे साथ।।
©️मूमल
रात
ये जो रात है ना काली रात,जो तारों से जगमगा रही है,
ये रात नहीं सिर्फ रात नहीं है,ये ओढ़नी है दुल्हन की,
नई नवेली दुल्हन की,नैहर वाली तारों वाली ओढ़नी,
जो उसे सबसे ज्यादा प्यारी है,जान से भी प्यारी है।
जिसे वो रखती है सहेज कर, निहारती है सन्दूक को खोलकर और ओढ़ती है बार-त्यौहार।
हाँ ये रात सिर्फ़ रात नहीं है,ओढ़नी है धरती की…..
©️मूमल